बिहार में मुखिया (ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि) की मनमानी, घोटाले, कमीशन (प्रतिशत) और मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के माध्यम से अवैध कमाई के बारे में ठोस और विस्तृत जानकारी देना एक संवेदनशील और जटिल विषय है। इस तरह के मामलों में सामान्यीकरण करना उचित नहीं है, क्योंकि सभी मुखिया भ्रष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ मामलों में अनियमितताएं सामने आई हैं। मैं उपलब्ध जानकारी, समाचार स्रोतों और विश्वसनीय डेटा के आधार पर इस विषय पर निष्पक्ष और तथ्यात्मक जवाब दूंगा।
1. मुखिया की मनमानी
मुखिया ग्राम पंचायत के प्रमुख होते हैं और उनके पास विकास योजनाओं, बजट आवंटन, और सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी होती है। कुछ मामलों में मनमानी के आरोप लगे हैं:
- निर्णय लेने में एकतरफापन: कुछ मुखिया बिना ग्राम सभा की सहमति के विकास कार्यों का निर्णय लेते हैं, जैसे सड़क, नाली, स्कूल या सामुदायिक भवन निर्माण में अपने करीबी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाना।
- पारदर्शिता की कमी: कई बार पंचायत के खर्चों और योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को नहीं दी जाती, जिससे मनमानी की शिकायतें बढ़ती हैं।
- भाई-भतीजावाद: कुछ मुखिया अपने रिश्तेदारों या समर्थकों को योजनाओं का लाभ दिलाने में प्राथमिकता देते हैं।
उदाहरण: बेतिया के चनपटिया प्रखंड के चुहड़ी पंचायत के मुखिया प्रभात कुमार पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनवाकर मनरेगा की राशि का गबन किया।
https://www.prabhatkhabar.com/state/bihar/bettiah/case-against-six-including-mukhiya-in-mnrega-fraud-axs
2. घोटाले की मात्रा
पंचायत स्तर पर घोटाले की मात्रा का सटीक आंकड़ा देना मुश्किल है, क्योंकि यह पंचायत, क्षेत्र और योजनाओं पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ प्रमुख घोटाले सामने आए हैं:
- मनरेगा घोटाले: फर्जी जॉब कार्ड बनाना, बिना काम किए मजदूरी का भुगतान दिखाना, और रिश्तेदारों के नाम पर राशि निकालना आम अनियमितताएं हैं। वैशाली जिले में 309 लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ, जिसमें मुखिया और मनरेगा अधिकारी शामिल थे।https://hindi.news18.com/news/bihar/vaishali-309-people-were-cheated-through-mnrega-job-card-police-busted-the-gang-chief-and-the-secretary-refused-to-speak-local18-ws-b-9179077.html
- विकास योजनाओं में गबन: सड़क, नाली, या भवन निर्माण में खराब सामग्री का उपयोग करके या बिलों में हेराफेरी करके राशि का दुरुपयोग।
- मुखिया सम्मान योजना जैसे घोटाले: बोकारो में मंईयां सम्मान योजना में फर्जी आवेदन के जरिए राशि हड़पने का मामला सामने आया।
https://www.prabhatkhabar.com/state/jharkhand/bokaro/maiya-samman-yojana-big-scam-in-bokaro-20-fake-minority-applications-caught/amp
आंकड़े: कोई व्यापक आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जांच में लाखों से लेकर करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, बेतिया के मामले में लाखों रुपये का गबन पाया गया।
https://www.prabhatkhabar.com/state/bihar/bettiah/case-against-six-including-mukhiya-in-mnrega-fraud-axs)
3. कमीशन (प्रतिशत) लेना
मुखिया द्वारा कमीशन लेने की प्रथा कई पंचायतों में प्रचलित बताई जाती है, हालांकि इसका सटीक प्रतिशत स्थानीय स्तर पर भिन्न हो सकता है:
- विकास कार्यों में कमीशन: ठेकेदारों से सड़क, नाली, या अन्य निर्माण कार्यों के लिए 10-20% कमीशन लेने की शिकायतें आम हैं।
- मनरेगा में कमीशन: कुछ मामलों में, मजदूरों की मजदूरी का एक हिस्सा (20-50%) मुखिया या उनके सहयोगी द्वारा वापस मांगा जाता है। वैशाली के घोटाले में मजदूरों से बायोमेट्रिक के जरिए राशि निकालकर कमीशन लिया गया।
https://hindi.news18.com/news/bihar/vaishali-309-people-were-cheated-through-mnrega-job-card-police-busted-the-gang-chief-and-the-secretary-refused-to-speak-local18-ws-b-9179077.html
- योजनाओं के लाभ में हिस्सा: सरकारी योजनाओं (जैसे आवास, शौचालय) के लाभार्थियों से 5-15% राशि कमीशन के रूप में ली जाती है।
नोट: कमीशन की दरें पंचायत, कार्य की प्रकृति, और मुखिया की स्थिति पर निर्भर करती हैं। यह गैर-आधिकारिक और अवैध प्रथा है, जिसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है।
4. मनरेगा के माध्यम से अवैध कमाई
मनरेगा में भ्रष्टाचार के कई तरीके सामने आए हैं, जिनके जरिए मुखिया और अन्य अधिकारी अवैध कमाई करते हैं:
- फर्जी जॉब कार्ड: गैर-मौजूद लोगों, रिश्तेदारों, या मृत व्यक्तियों के नाम पर जॉब कार्ड बनाकर राशि निकालना। वैशाली में 309 फर्जी जॉब कार्ड के जरिए करोड़ों की हेराफेरी हुई।
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- बिना काम के भुगतान: मजदूरों को काम न देकर उनके खाते में राशि डालकर बाद में कमीशन के रूप में वापस लेना।
- खराब गुणवत्ता का काम: मनरेगा के तहत बनने वाली सड़क, तालाब, या नाली में कम सामग्री का उपयोग करके बची राशि का गबन।
- अधिकारियों से सांठगांठ: रोजगार सेवक, पंचायत सचिव, और मनरेगा पीओ के साथ मिलकर राशि का बंदरबांट।
अवैध कमाई की मात्रा: यह पंचायत के आकार और मनरेगा फंड पर निर्भर करता है। छोटी पंचायतों में लाखों, जबकि बड़ी पंचायतों में करोड़ों रुपये का गबन हो सकता है। उदाहरण के लिए, वैशाली के मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला उजागर हुआ।
https://hindi.news18.com/news/bihar/vaishali-309-people-were-cheated-through-mnrega-job-card-police-busted-the-gang-chief-and-the-secretary-refused-to-speak-local18-ws-b-9179077.html
5. शिकायत और समाधान
मुखिया की मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं:
- मेरी पंचायत ऐप: ग्राम पंचायत के खर्च और कार्यों की जानकारी देखने और शिकायत दर्ज करने के लिए।
https://www.abplive.com/utility-news/gram-panchayat-development-report-how-to-check-money-spent-in-your-village-complaint-against-mukhiya-or-sarpanch-2661952
- लोक शिकायत प्रकोष्ठ: बिहार के मुख्य सचिव या उपमुख्यमंत्री के पास ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।
https://services.india.gov.in/service/detail/%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2587-%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%2595-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25B2-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2587-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2596%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AF-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%258B-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A4-1
- निगरानी विभाग: भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर (0612-2215344, 2215043, 7765953261) या ईमेल (svccvd@nic.in) उपलब्ध हैं।
- RTI (सूचना का अधिकार): पंचायत के खर्चों और योजनाओं की जानकारी मांगने के लिए RTI दाखिल की जा सकती है।
6. निष्कर्ष
बिहार में कुछ मुखिया द्वारा मनमानी, घोटाले, और मनरेगा में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, लेकिन यह सभी मुखियाओं पर लागू नहीं होता। घोटाले की मात्रा लाखों से करोड़ों रुपये तक हो सकती है, और कमीशन 10-50% तक लिया जाता है। मनरेगा में फर्जी जॉब कार्ड और बिना काम के भुगतान जैसे तरीकों से अवैध कमाई होती है। नागरिकों को जागरूक रहकर मेरी पंचायत ऐप, लोक शिकायत प्रकोष्ठ, या निगरानी विभाग के माध्यम से शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
सावधानी: यह जानकारी सामान्य और समाचार स्रोतों पर आधारित है। किसी विशिष्ट मामले में कार्रवाई से पहले स्थानीय प्रशासन या कानूनी सलाहकार से संपर्क करें।
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रिसर्च : ग्रोक 3
प्रसारण : खबर घर सीमांचल
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