कुछ दिन से मेरे कज़िन की बेटी अस्पताल में भर्ती थी, उसकी ज़हनी हालत ठीक नहीं थी, पता चला कि चीख़ती चिल्लाती है और काटती है।
18 साल की बच्ची है, मुझे पता चला तो देखने अस्पताल गया, बच्ची के पैर और हाथ बंधे हुए थे और वो तड़प रही थी, डॉक्टर साहब से मिला तो बोले हिस्टीरिया है, बाप से पूछा तो कहने लगे इसको साया हो गया है, वालिदा ने कहा इसकी फूफी ने जादू करा दिया है !!
जितने मुंह उतनी बातें, मैंने बच्ची के पास जाकर उसे प्यार किया और पानी पिलाया, वो बेक़रार थी, कहती है मुझे गोल गप्पे खाने हैं !!
डॉक्टर साहब ने मना किया है कि इसको कोई चीज़ बाज़ार से नहीं देनी मेरा माथा ठनका मैंने पूछा कि बच्ची की ये हालत कब से है ? वालिदा ने बताया कि छुट्टियों के आख़िरी बीस दिन अपनी फूफी के घर गयी थी वहां से जब वापस आयी है तबीअत नासाज़ है, चिड़चिड़ी सी हो गयी है, बाहर निकल निकल कर भागती है, कहती है कि गोल गप्पे खाने हैं वो भी लाकर दिए मगर पसंद नहीं आते फेंक देती है, चीख़ती है चिल्लाती है, काफ़ी आमिलों के पास गए वो कहते हैं बहुत सख़्त जादू हुआ है जादू की वजह से साया मुसल्लत किया गया है।
मैंने लड़की से तन्हाई में बात करने की इजाज़त चाही जो मिल गयी, मैंने बच्ची के हाथ पैर खोले और टेरिस पर ले गया उसे पानी पिलाया मैंने कहा मुझे अपना दोस्त समझो जो कुछ हम दोनों में बात होगी वो राज़ रहेगी, मैंने क़सम खायी लड़की को कुछ हौसला हुआ तो कहने लगी आप अपनी माँ की क़सम खाएं कि किसी को नहीं बताएंगे, कहने लगी फूफी के मोहल्ले में एक गोल गप्पे वाला है जिसके गोल गप्पे मुझे बहुत पसंद हैं मेरा कज़िन और में दोनों खाने के लिए जाते थे में जब से वापस लौटी हूँ दिल बहुत बेक़रार रहता है, और जिस्म में कुछ जल सा रहा है, मैंने उससे उसकी फूफी का नंबर लिया और उसको यक़ीन दिलाया कि मैं जो कुछ भी कर सका ज़रूर करूँगा अगले रोज़ में उसकी फूफी के घर गया रिश्तेदार थे मेरी बहुत इज़्ज़त की मैंने उसके बेटे के साथ से बाजार तक चलने को कहा हम पैदल ही शाम को घर से निकले बातों बातों में लड़की के हवाले से गोल गप्पे की तारीफ़ की ओर इस तरह हम उस दुकान की केबिन में पहुंच गए, गोल गप्पे मंगवाए गए और खाये भी बहुत मज़ेदार थे, अलग सा ज़ायका था, ख़ैर मैंने कुछ पैक करवा लिए और साथ ले आया रात को वापस शहर आया और वो गोल गप्पे एक दोस्त की लैब वाले को दिए कि उसको चैक कर दे मनशियात वाले इदारे को भी एक सेम्पल दिया, अगले दिन रिपोर्ट आई तो मैं अपना सर पकड़ कर बैठ गया रिपोर्ट में पता चला कि मसाले में हेरोइन मिलाई गयी है मेरा एक लम्हे के लिए दम बन्द सा हो गया, मैंने फ़ौरन एन्टीनार्कोटिक्स से कॉन्टेक्ट किया और उस गोल गप्पे वाले कि दुकान पर रेड किया तो वहां से शराब, हेरोइन और चरस बरामद हुई ये बाक़ायदा एक मनशियात का अड्डा था और गोल गप्पे वाला अपने गोल गप्पे में हेरोइन घोल कर खिला रहा था जो लग गए वो यहां से हट नहीं सकते थे।
उनको पकड़वा कर बच्ची की तरफ़ लौटा और डॉक्टर साहब को भरोसे में लेकर बच्ची को तर्क मनशियात के इदारे में दाख़िल करवा कर इलाज करवाया।
ये एक सच्चा वाक़या था, अब आएं असल मसले पर और वो ये है कि हमारे बच्चों के साथ ये क्या हो रहा है? स्कूलों के बाहर रेहड़ियों पर और स्कूल कॉलिजों की कैंटीनों पर, मोहल्ले में फिरते रेहड़ी वाले हमारे बच्चों के साथ क्या कुछ कर रहे हैं, हमारे बच्चे अब नशों पर लग चुके हैं और हमें मालूम ही नहीं, हम ब हैसियत मजमूई अपनी अपनी औलाद से ग़ाफ़िल हैं।
हुकूमत बेख़बर है तो वालिदैन और असातिज़ा को जागना होगा उन तक अपने बच्चों को न जाने दें, ये बच्चे हमारा मुस्तक़बिल हैं गोल गप्पे वाला तो गोल गप्पे बेच जाएगा मगर हमारी पूरी नस्ल नशे की आदी बन कर तबाह हो जाएगी !!
*आप सब जागते रहें याद रखना अगर आप सो गए तो सब कुछ सो जाएगा !!*
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हिंदी अनुवाद
रफीक़ रज़ा हनफी
मेंबर: तहरीक उलमा ए बुंदेलखंड
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