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*सना, फिज़ा और तरुण गुप्ता की कहानी: एक सीख देने वाली सच्चाई*


आज मेरी नज़र एक वीडियो पर पड़ी, जिसमें एक व्यक्ति हिंदू पुजारी के कपड़ों में बैठा हुआ दिखा। उसके दोनों ओर दो हिजाब पहने महिलाएं थीं। पहली नज़र में यह वीडियो मुझे नकली लगा, जैसे अक्सर सोशल मीडिया पर मुस्लिम लड़कियों को बदनाम करने के लिए फर्ज़ी वीडियो बनाए जाते हैं। इन वीडियोज़ में किसी को भी हिजाब पहनाकर मुस्लिम दिखाया जाता है, जबकि हकीक़त में वे लड़कियां हिंदू होती हैं। कट्टरपंथी संगठनों द्वारा ऐसी चालाकियां आम बात हो गई हैं। एक बार तो एक कट्टरपंथी ने अपनी बहन को ही हिजाब पहनाकर खुद को उसका पति बताने का नाटक किया, लेकिन जल्द ही उसकी सच्चाई सबके सामने आ गई।  


लेकिन यह वीडियो नक़ली नहीं थी। वीडियो में दिख रहा व्यक्ति तरुण गुप्ता, लखनऊ का रहने वाला एक धर्मप्रिय हिंदू है, जिसने दो मुस्लिम लड़कियों, सना और फिज़ा, से शादी कर रखी है। इस कहानी के पीछे के सच को जानने के बाद हर समझदार मुस्लिम के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर ये दोनों लड़कियां उसके जाल में कैसे फंसीं?  


*सना और फिज़ा के भगवा लव ट्रैप में फंसने की कहानी*  

तरुण गुप्ता ने एक इंटरव्यू में खुद बताया कि उसने कैसे इन दोनों लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाया।  

- **सना की कहानी:** सना कंप्यूटर क्लास के लिए जाया करती थी, जहां उर्दू एक अनिवार्य विषय था। तरुण ने उर्दू की उत्तर पुस्तिका भरने में सना से मदद मांगी और बदले में उसे कंप्यूटर के बेसिक कोर्स में मदद देने का वादा किया। इस बहाने दोनों के बीच दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई और अंततः उन्होंने शादी कर ली।  

- **फिज़ा की कहानी:** फिज़ा ने इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स के लिए एक संस्थान में दाखिला लिया था, जहां उसकी मुलाक़ात तरुण गुप्ता से हुई। शुरुआत में दोनों के बीच नोकझोंक हुई, लेकिन ये नोकझोंक जल्द ही दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई । नतीजतन, फिज़ा ने भी तरुण से शादी कर ली।  


आज तरुण गुप्ता का कहना है कि वह अपनी दोनों मुस्लिम पत्नियों के साथ खुशहाल जीवन बिता रहा है। ये तीनों न केवल साथ रहते हैं, बल्कि ब्लॉगिंग के ज़रिए अपनी कहानियां और गतिविधियां भी दुनिया के साथ साझा करते हैं।  


*मुसलमानों के लिए सबक़*  

यह कहानी हर मुस्लिम माता-पिता और अभिभावकों के लिए एक बड़ी सीख है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आज के इस फितनों से भरे दौर में हमारी लापरवाही और बेपरवाही हमारे बच्चों को किस तरह गुमराही के रास्ते पर ले जा सकती है।  


- *शैक्षणिक संस्थानों का चयन:* माता-पिता को चाहिए कि इस पुर फितन दौर में अपनी बेटियों को सह-शिक्षा वाले संस्थानों से दूर रखें। यदि बहुत मजबूरी हो, तो ऐसे संस्थानों का चयन करें जहां केवल मुस्लिम बच्चे और बच्चियां पढ़ाई करते हैं।  


- *निगरानी और मार्गदर्शन:* बेटियों की गतिविधियों और उनकी दोस्ती पर गहरी नज़र रखें। उन्हें बार-बार यह एहसास दिलाएं कि उनकी इज्ज़त और धर्म की सुरक्षा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।


- *इस्लामी शिक्षा का महत्व:* बेटियों को इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं से परिचित कराएं, ताकि वे हर तरह के फितनों और फसाद से सुरक्षित रह सकें।  


यह घटना मुसलमानों को झकझोरने के लिए काफी है। आज के समय में शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक और नैतिक मार्गदर्शन बेहद ज़रूरी है। अपनी बेटियों को धर्म की रोशनी में दुनिया की चालाक साज़िशों से सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता को हर संभव कोशिश करनी चाहिए। याद रखें, बच्चों की सुरक्षा और उनकी परवरिश माता-पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।  


*✍️: आफताब अज़हर सिद्दीकी*

किशनगंज, बिहार

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