आपने हाल के दिनों में विपक्ष के प्रमुख नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी के हाथों में एक लाल रंग की जिल्द में लिपटी पुस्तक अवश्य देखी होगी। यह कोई साधारण पुस्तक नहीं, बल्कि भारतीय संविधान है — वह महान दस्तावेज़ जो न केवल इस देश के लोकतांत्रिक स्वभाव की पहचान है, बल्कि यहां बसने वाले हर नागरिक की स्वतंत्रता, समानता और न्याय का संरक्षक भी है।
आज जब देश का संविधान स्वयं खतरे में है, जब लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमज़ोर किया जा रहा है, जब सवाल पूछने वाले नागरिकों को चुप कराया जा रहा है — ऐसे दौर में भारतीय संविधान का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यह पुस्तक मात्र कानूनी धाराओं का संकलन नहीं, बल्कि ऐसा दर्पण है जो हमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों की संपूर्ण तस्वीर दिखाता है।हर जागरूक, सभ्य और शिक्षित नागरिक को चाहिए कि वह भारतीय संविधान का अध्ययन करे और उसकी आत्मा को समझे। विशेष रूप से युवाओं को — चाहे वे कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हों या मदरसों में धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हों — इस पुस्तक को अपने अध्ययन का हिस्सा अवश्य बनाना चाहिए।
क्योंकि यही संविधान हमें यह बताता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है? अल्पसंख्यकों के अधिकार कैसे सुरक्षित हैं? और एक लोकतांत्रिक देश में सभी धर्मों, जातियों और वर्गों को समान दर्जा क्यों प्राप्त है?
याद रखिए, जब तक इस पुस्तक की बुनियादें सलामत रहेंगी, तब तक यह देश लोकतंत्र के तराने गाता रहेगा।
– आफ़ताब अज़हर सिद्दीक़ी
(किशनगंज, बिहार)
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