मैने गांधी को क्यों मारा ... ?
इसके संबंध मे नाथूराम गोडसे ने कोर्ट मे दिये गए बयान मे जो कारण गिनाऐ थे ...
1. उसे लगता था कि, बंटवारा टाला जा सकता था, और इस क्रम मे हुए दंगों मे जो हिन्दू जाने बचाई जा सकती थी।
2. मुझे गांधी का पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपये जारी करने के लिए अनशन करना अच्छा नही लगा।
3. मै हिंदुत्व पर हुए अत्याचारों से व्यथित था, जिसे पाकिस्तान बाहर से और गांधी अंदर से कारित कर रहे थे।
गोडसे सरासर झूठ बोल रहा था ...
और सच्चाई यह थी कि, गांधी को मारने का पहला प्रयास उसने 1944 मे किया था। जब पंचगनी मे वह गांधी को मारने छुरा लेकर दौड़ा था।
दूसरा प्रयास 1945 मे किया जब गांधी की ट्रेन की पटरी उखाड़ दी थी। इस समय तक न बंटवारा हुआ था, न दंगे, न पचपन करोड़ का सवाल था।
वो गांधी को इसलिए मारना चाहता था, क्योंकि उसे गांधी को मारने का जिम्मा मिला हुवा था।
इसलिए उसने तीसरा प्रयास किया 20 जनवरी 1948 को बाम्बे मे, और गांधी की प्रार्थना सभा मे वह टीम लेकर बम फेंक आया। पिस्तौल जाम न होती, तो वह गांधी को उसी दिन मार देता।
अखिर 10 दस दिन बाद दिल्ली मे वो सफल हुआ।
एक गोडसे नामक नंपुसक जिसके पास बंदूक भी थी, चलाना भी जानता था ताउम्र किसी अंग्रेज अफसर के थप्पड़ तक नहीं मार पाया उसने एक निहत्थे वृद्ध व्यक्ति (गांधी) को मारकर कट्टरपंथियों का हीरो बन गया क्योंकि गांधी उनके एजेंडे में रोड़ा था ...
Whatapp university ने जो भी घुट्टी जन मानस को घोल घोल कर पिलाई हो लेकिन गांधी के विचारों को आज तक खत्म नहीं कर पाई ।
और देखिए आज भी उनके हत्यारे के समर्थकों को चाहे बे-मन से सही देश/दुनिया में उनकी मूर्तियों के आगे उनको भी साष्टांग दंडवत झुकना पड़ता है। बस यही गांधी की शख्सियत और ताकत है ।
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