मास्टर मुजाहिद साहब (पूर्व विधायक, कोचाधामन) की फ़ेसबुक पोस्ट से पता चला कि हरियाणा के पानीपत ज़िले के फ्लोरा सेक्टर 29 में किशनगंज (बिहार) के कोचाधामन ब्लॉक के रहने वाले नौजवान फिरदौस आलम उर्फ़ असजद बाबू की हत्या सिर्फ़ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि भारत में बढ़ती मुस्लिम विरोधी मानसिकता की एक खौफ़नाक तस्वीर है।
यह शरीफ़ और तालीमयाफ़्ता नौजवान सिर्फ़ इसलिए क़त्ल कर दिया गया क्योंकि उसके सिर पर टोपी थी। आतंकी मानसिकता रखने वाले शिशु लाला ने पहले उसके सिर से टोपी गिराई और जब अस्जद उसे उठाने के लिए झुका तो उसके सिर पर डंडे से ज़ोरदार वार कर दिया। यह घटना कोई आम झगड़ा नहीं, बल्कि सोची-समझी धार्मिक पहचान पर आधारित नफ़रत का नतीजा है।
असजद की मौत सिर्फ़ उसके घरवालों या किशनगंज के लोगों का दुख नहीं, बल्कि देश के हर इंसाफ़पसंद नागरिक के लिए एक बड़ा सवाल और चेतावनी है।
हरियाणा की सरकार और पुलिस मशीनरी से पूछा जाना चाहिए कि आख़िर ऐसे मामले बार-बार क्यों हो रहे हैं? क्या मुसलमानों की जान की कोई क़ीमत नहीं? क्या धार्मिक पक्षपात ने कानूनe की आंखों पर पट्टी बांध दी है?
अफसोस की बात है कि शुरुआती दौर में मृतक के ससुर और पत्नी केस दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन समाजसेवियों और स्थानीय नेताओं की कोशिशों से अंततः एफआईआर दर्ज हुई और हत्यारे को पुलिस के हवाले किया गया। लेकिन क्या सिर्फ़ गिरफ़्तारी काफ़ी है?
जब तक हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार ऐसे अपराधों पर कड़ी और तेज़ कार्रवाई नहीं करती, ये नफ़रती वारदातें रुकने वाली नहीं हैं।
अगर बीजेपी सरकार वाकई क़ानून का सम्मान करती है, तो हत्यारे को मिसाली सज़ा दे और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करे। वरना यह चुप्पी खुद एक जुर्म बन जाएगी।
मुस्लिम संगठनों से अपील है कि इस मामले और ऐसे सभी मामलों पर सरकार से सवाल पूछें और अपनी क़ौम की हिफ़ाज़त के लिए मज़बूत रणनीति बनाएं। यह वक़्त ख़ामोश रहने का नहीं, बल्कि आवाज़ उठाने का है।
✍️: आफ़ताब अज़हर सिद्दीक़ी
किशनगंज, बिहार
दिनांक: 25 मई 2025
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