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अहरार दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया गया



छत्तरगाछ में मजलिस अहरार इस्लाम बिहार के कार्यालय का उद्घाटन 


मजलिस अहरार इस्लाम हिंद (संकल्प और साहस के 94 वर्ष)


मौलाना इलयास मुखलिस सदर मजलिस अहरार इस्लाम बिहार और मौलाना आफताब अज़हर सिद्दीकी महासचिव मजलिस अहरार इस्लाम बिहार ने कहा कि मजलिस अहरार इस्लाम हिंद उन क्रांतिकारी दलों में अग्रणी है, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपने धर्म, राष्ट्र और मातृभूमि के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद से लड़ाई लड़ी और स्वतंत्रता संग्राम में शाश्वत और अद्वितीय बलिदान, विश्वास और संकल्प बेबाकी की कहानियाँ रचीं। जिनके साहस की कहानियाँ, निडरता, वीरता और दुस्साहस इतिहास का एक उज्ज्वल अध्याय है। आज से करीब 94 साल पहले जब 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस अधिवेशन के अंत में नेहरू रिपोर्ट को नदी में फेंक दिया गया था, तब अंग्रेज़ों ने जिहाद की आखिरी चिंगारी को मुसलमानों के दिलों से मिटाने के लिए झूठा नबी मिर्जा गुलाम कादियानी को पैदा किया और कश्मीर में डोगरी शासन के मुसलमानों के खिलाफ अत्याचारों के बीच, मिर्जा गुलाम कादियानी के बेटे मिर्जा बशीरुद्दीन महमूद द्वारा एक साजिश रची गई, अंग्रेज़ कश्मीर को मिर्ज़ाइट के रूप में रंगना चाहता था। तब मुसलमानों के सामने लोगों की स्वतंत्रता के साथ-साथ, उनकी अपनी मान्यताओं की रक्षा, विशेष रूप से खत्मे नबुव्वत की सुरक्षा, एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी और देश के कुलीन वर्ग को भी एक ऐसे आंदोलन और तहरीक की ज़रूरत थी जो भारत की आज़ादी के आंदोलन के साथ-साथ पैगम्बरवाद के अंत के आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर सके। अंततः 29 दिसंबर, 1929 को तहरीक-ए-आजादी के स्वतंत्रता सेनानियों की एक बैठक रावी के तट पर इस्लामिया कॉलेज लाहौर के हबीब हॉल में आयोजित की गई।  जिसमें रईस-उल-अहरार मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी, सैयद-उल-अहरार अमीर शरीयत मौलाना सैयद अताउल्लाह शाह बुखारी, मुफक्किरे अहरार चौधरी अफज़ल हक, मौलाना सैयद मुहम्मद गज़नवी, मौलाना मज़हर अली मजहर, शेख हुसामुद्दीन, मास्टर ताजुद्दीन अंसारी , और अन्य प्रमुख मुजाहिदीन शामिल थे । इमाम-उल-हिंद मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा सुझाए गए नाम के अनुसार, उन्होंने "मजलिसे अहरार इस्लाम हिंद" के नाम से इस क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की। बैठक के अंत में रईस-उल-अहरार हज़रत मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी को मजलिसे अहरार इस्लाम-हिंद का अध्यक्ष चुना गया।

मजलिसे अहरार इस्लाम हिंद की स्थापना प्रसिद्ध शेख अल-मुशाइख हज़रत मौलाना अब्दुल कादिर रायपुरी और इमाम अल-मुहद्दिसीन हज़रत मौलाना सैय्यद अनवर शाह कश्मीरी की इच्छाओं के अनुरूप थी। इन बुज़ुर्गों ने अहरार की सरपरस्ती भी की। मजलिसे अहरार जहां स्वतंत्रता सेनानियों की एक मज़बूत तनज़ीम के रूप में स्थापित हुई, वहीं यह संगठन इस्लामी परंपराओं के अनुसार राजनीति के क्षेत्र में भी उतरी। चूँकि मजलिस अहरार इस्लाम के मुख्य उद्देश्यों में मातृभूमि की स्वतंत्रता और खत्मे नबुव्वत (पैग़म्बरी के अंत) की सुरक्षा जैसे महान लक्ष्य शामिल थे। इसलिए, किसी भी विचारधारा के लिए अहरार में शामिल होने के लिए अत्यधिक आकर्षण था। इस प्रकार मजलिस अहरार ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में धार्मिक चेतना को उजागर किया बल्कि विभिन्न धार्मिक विचारधाराओं के प्रमुख नेताओं को एकजुट करके साझा नेतृत्व भी प्रदान किया। अहरार की स्थापना से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई और फिरंगी सरकार के चेहरे पर झुर्रियां पड़ गईं।


आज भी अहरार में आज़ादी, निडरता, सच्चाई की वही भावना है, जिसकी स्थापना रईस-उल-अहरार मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी और अमीर शरीयत मौलाना सैयद अताउल्लाह शाह बुखारी ने की थी और जिसकी हरारत कायद-उल-अहरार हज़रत मौलाना हबीब-उर-रहमान सानी लुधियानवी ने बाक़ी रखी। आज भी अहरार की गिनती उन तंज़ीमों में होती है जो कादियानियत के देशद्रोह के खिलाफ़ अग्रिम पंक्ति में खड़ी हैं और ज़ुल्म के खिलाफ सरकारों की आंखों में आंखें डाल कर उत्पीड़ितों के पक्ष में आवाज़ उठाने का काम कर रही हैं। उद्देश्य; हम प्रार्थना करते हैं कि मौलाना हबीब-उर-रहमान सानी लुधियानवी साहब रह0 जिन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म के लिए समर्पित कर दिया और खत्मे नबुव्वत की हिफाज़त के लिए बढ़ चढ़ कर काम किया ,उसी तरह उनके जानशीन मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के युवा क़ायद हज़रत मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी साहब  के नेतृत्व में यह संगठन अपना सफर जारी रखे। आमीन!


इस अवसर पर मौलाना अब्दुल वकील क़ासमी, मौलाना अब्दुल करीम जामी, मौलाना अब्दुल वाहिद बुखारी, मौलाना तौहीद आलम क़ासमी, क़ारी मुहीत अख्तर, मोलवी नसीम अर्राबाड़ी भी मौजूद रहे।

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