मोदी राज में लगातार संवैधानिक और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन होना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अशुभ है।
लखनऊ : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मसले और विपक्ष के 141 सांसदों के निलंबन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी मदनी ने कहा कि संसद भवन की सुरक्षा में चूक बहुत दुखद है और दोषियों के विरुद्ध तत्काल सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही इतना बड़ी चूक पर सवाल पूछने वाले विपक्ष के सांसदों को निलंबित किया जाना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है।
आमिर रशादी ने कहा विपक्ष का काम होता है जनता एवं देश के बुनियादी मुद्दों पर सरकार से सवाल पूछना और सरकार का काम है उनके सवालों का जवाब देना, यही स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत इसी लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध था लेकिन मौजूदा केन्द्र की भाजपा सरकार सवालों का जवाब देने के बजाय सवाल पूछने वालों पर ही पाबंदी लगा रही है और सांसदो को संसद से निलंबित करने से लेकर पत्रकारों, नेताओं और नागरिकों पे भी सवाल करने पर ज़ुल्म ढा रही है।
जबकि एक तरफ उसी संसद भवन में भाजपा के सांसद रमेश विधूड़ी सरेआम एक मुस्लिम सांसद को गाली देते है, एक समाज और शख्स के विरुद्ध अपशब्द और असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल करते है पर आजतक लोकसभा स्पीकर उस पर कोई कार्यवाही नहीं करते और न ही भाजपा कोई कार्यवाही करती, 13 दिसंबर को लोकसभा में हमला करने वाले आरोपी भाजपा सांसद के बनाए पास पर आए थे उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई परंतु विपक्ष के सांसदो पे तत्काल कार्यवाही और प्रतिबंध लगता है जो लगातार जारी है और जो निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल केन्द्र की मोदी सरकार की सांसदो के निलंबन की कार्यवाही के खिलाफ़ है।
आज़ाद भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ जब सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए विपक्ष के सांसदो को इतनी बड़ी संख्या में निलम्बित किया हो।
उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को एक जुट होकर संसद से सड़क तक लोकतांत्रिक तरीके से इस सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन और जन आंदोलन करना होगा तभी लोकतंत्र की रक्षा हो पाएगी वरना सड़कें तो सूनी हो ही चुकी हैं संसद भी सूनी हो जाएगी।
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