Mohd Dilnawaz
Neha Nazakat इतनी कम उम्र में शायरी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाली बहुत प्यारी लड़की नेहा नज़ाकत इस दुनिया में नहीं रही ये ख़बर सुनकर एक हादसा सा लगा है जिंदगी में जो लड़की अपनी शायरी, शेर, कविता, गीत, के जरिए लोगो को जिंदा रहने के लिए ऊर्जा देती हो आज उसने खुद को ही इस दुनिया से विदा कर लिया हो बहुत अफसोस होता है अभी तो बहुत कुछ देखना था नेहा तुमको अभी तो शायरी की दुनिया में तुमने कदम रखा था और इतनी इज्जत हासिल की थी फिर ऐसा किया हुआ जो तुमने इस दुनिया से खुद को हमेशा के लिए दूर कर लिया तुम्हारी लास्ट फेसबुक पोस्ट भी मैने पड़ी जिसमे लिखा था (ऐसा लगता है हार जाऊंगी) ये पोस्ट में कमेंट पड़ कर में दंग रह गया की लोग ऐसी सोच रखते है ये समाज कहा से कहा आ गया है अगर कोई हारने की बात करता है तो उसको उस घड़ी में उस प्रॉब्लम से निकालने के बदले उसको ये बोलते है की अगर लगता है तो जरूर हारोगे कही न कही इस समाज के लोगो का भी बहुत बड़ा रोल है डिप्रेशन में चल रहे इंसान को सुसाइड करने पर मजबूर करने को अल्लाह (ईश्वर) से दुआ (प्रार्थना) करूंगा की तुम्हारे घर वालो को इस मुसीबत की घड़ी से निकलने का सब्र दे!
इंसान चला जाता है अचानक से छोड़कर सिर्फ़ उसकी यादें रह जाती है!
सबको मंज़िल पे पहुँचना है बे-सर-ओ-सामाँ
छूट जाता है यहीं राह का लेना देना !
✍️ #Neha_Nazakat
# यादें #RIP #Ripnehanazakat #nehanazakat
Naveen Kumar
Neha Nazakat जी हैं। अच्छी लिखती थी। काव्यपीडिया की मेंबर भी थी। कई लोगों के पोस्ट से पता चली, अब ये इस दुनिया में नहीं रही। एक नौजवान अपनी जिंदगी से कैसे हार जाती है। बहुत तर्क का मुद्दा है। समझने की जरूरत है। आज वो हार गई तो क्या सिर्फ वो हारी है..? नहीं। बहरहाल उसके आसपास के लोगों की हार है.. हमारी हार है.. आपकी हार है।
अक्सर चीज़े बिगड़ जाने के बाद हम सुनते कहते हैं कि बात कर लेनी चाहिए.. बातें किसी से शेयर करनी चाहिए थी। मगर वास्तविक में जब हमें बात करने की जरूरत होती है, उस वक्त किसी के पास फुरसत होता है क्या..? जिस तरह से फेसबुक पर इन्होंने लिखी है कि "लगता है हार जाऊंगी" ऐसा नहीं हुआ होगा को किसी को कुछ नहीं कही होगी.. मगर जिसे कही होगी उसने तौहीन किया होगा, नौटंकी ड्रामा समझा होगा, नजरंदाज किया होगा। वास्तविक चीज़े क्या है ये मुझे भी नहीं पता। मुझे लगता है इतना ज्यादे हारने से पहले किसी से तो खूब कहीं होगी.. खूब इंतजार की होगी किसी के सुन जाने के लिए।
ये किस तरह का मामला है मुझे नहीं पता। कभी कभी एक समय ऐसा आ जाता है कि किसी एक खास इंसान की मौजूदगी ही सबकुछ होता है। मैं बार बार इस सवाल में उलझ जाता हूं। मैं जानता हूं कि मौजूदगी सबकुछ नहीं है, मगर इस बात का एहसास नहीं जाता है। दुनिया की तमाम चीज़े इधर से उधर हो जाने के बाद भी अंत में एक किसी खास लोग के मौजूदगी का होना ही सबकुछ समझते हैं। दिल बैठ जाता है। मन तड़पता है। शरीर कांपती है। आंखों में आसमान से बादल टूट पड़ते हैं और बरस जाते हैं। इतना कुछ होने के बाद भी जिसके वजह से ये सब हुई उनके शर्ते फिर से मानने को मजबूर हो जाते हैं सिर्फ और सिर्फ किसी के मौजूदगी के लिए। और फिर ऐसा करते.. लाखों बार कहते कहते हार जाते हैं। मगर हारना नहीं जीतना चाहिए।
खैर भगवान इनके आत्मा को शांति प्रदान करे। ओम शांति 🙏
Aviral Shukla
नहीं पता Neha Nazakat की खुदकुशी करने की क्या वजह थी ! लेकिन पिछले महीने से आ रही उनकी नैराश्यपूर्ण पंक्तियां इस बात का समर्थन कर रही हैं कि इस हंसमुख सी लड़की को भावनाओं के जाल में फंसाकर बुरी तरह मार दिया गया है ।
हम उम्र ( लड़कों और लड़कियों दोनों ) दोस्तों ! इस दुनिया में जगह जगह भावनाओं का पासा बिछा हुआ है । इसमें भूलकर भी न फंसे और फंसे भी तो कम से कम ' देह प्राण ते प्रिय कछु नाहीं ' की सार्थकता बनाए रहें , इस पंक्ति को व्यर्थ न होने दें ।
दुनिया में किसी पर भी इतना निर्भर न हों कि उसके चले जाने पर आप जी न पाएं और हां एक बात !
यदि मेरा अंदेशा सही है तो भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले लोगों को कानूनी तौर पर सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ।
# JusticeforNehanazakat
Danish Kamal Sargam
Neha Nazakat आप इतनी अच्छी शायरी करती थीं अचानक क्या हुआ कि ख़ुदकुशी पे मजबूर हो गई, क्या समस्या का आख़िरी हल आत्महत्या है??
पता नहीं क्या हो गया है आजकल की जेनेरेशन (Generation) को 😢
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