किशनगंज 27 जून (संवाददाता) मजलिस अहरार इस्लाम बिहार के महासचिव और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के प्रदेश प्रभारी मौलाना आफताब अज़हर सिद्दीकी ने कुर्बानी के मौके पर इस्लाम के सभी भाइयों को बधाई दी और कहा कि शांति और सद्भावना के साथ ईद-उल-अजहा मनाएं। उन्होंने कहा कि ईद-उल-अज़हा अल्लाह के दोस्त हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की एक लोकप्रिय सुन्नत है, अल्लाह को उनका बलिदान इतना प्रिय लगा कि उन्होंने इसे बाकी दुनिया के लिए एक स्मारक बना दिया। हदीस में है कि सहाबा ने अल्लाह के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) से मालूम किया कि पैगम्बर! ये क़ुरबानी बलिदान क्या है यानि इसकी हकीकत क्या है? पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: यह तुम्हारे (रूहानी) पिता हज़रत इब्राहीम (उन पर शांति हो) की सुन्नत और उनका तरीका है। क़ुरबानी में जानवर के हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाती है। मौलाना ने कहा कि कुर्बानी असल में बंदे की अल्लाह से मुहब्बत का इम्तिहान है। अल्लाह ने इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को ख्वाब में दिखाया कि अपनी सबसे प्यारी चीज़ अल्लाह की राह में कुर्बान कर दो। हज़रत इब्राहीम अपने बेटे इस्माईल अलैहिस्सलाम को क़ुर्बान करने के लिए लेकर चल दिए, बेटा भी अल्लाह का फरमांबरदार था, हज़रत इस्माईल कहने लगे कि अगर यह अल्लाह का हुक्म है तो मैं खुशी-खुशी कुर्बान होने को तैयार हूं। जब अल्लाह ने बाप और बेटे दोनों की कुर्बानी का यह जज़्बा देखा तो अल्लाह ने इसे जानवर की बलि में बदल दिया और क़यामत के दिन तक क़ुरबानी की इस प्रक्रिया को जारी रखा। सच तो यह है कि हर बंदे के पास जो कुछ भी है, वह अल्लाह ने उसे दिया है, इसलिए खुदा के हर बंदे में अल्लाह के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार रहने का साहस होना चाहिए। लेकिन आज का मुसलमान जो नमाज़ के लिए थोड़ा सा समय भी कुर्बान नहीं कर सकता, गुनाहों से बचने के लिए शारीरिक इच्छाओं की कुर्बानी नहीं दे सकता, उसके लिए साल में सिर्फ एक बार किसी जानवर की कुर्बानी देना केवल एक फर्ज़ की अदायगी तो कहलाएगी; लेकिन इससे क़ुरबानी का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। क़ुरबानी ईश्वर से बे इन्तहा प्रेम का नाम है। एक व्यक्ति जो पूरी तरह से ईश्वर के धर्म का पालन करता है और ईश्वर के लिए अपनी सभी भावनाओं का त्याग करने को तैयार है, वही क़ुरबानी का तथ्य है। वही क़ुरबानी के इस परीक्षा में सफल होता है और अल्लाह ऐसी कुर्बानी से ही खुश होता है।
.. .. .. .. ..
0 Comments