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*तो क्या मुसलमान भी तलवार बांटना शुरू कर दें?*

 


राजस्थान के जोधपुर जिला के देचू प्रखंड में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के बैनर तले त्रिशूल दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें भाषण देने वालों ने धर्म और परिवार की रक्षा के नाम पर कानून हाथ में लेने और हथियार उठाने की बात कही। 


संत शिरोमणि रामविचार ने अपने भाषण में कहा कि "यह हमारी संस्कृति रही है कि एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला होना चाहिए, यह बापू गांधी के जमाने का भारत नहीं है कि कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल बढ़ा दो, हम तो कहेंगे कि जिस हाथ से थप्पड़ मारा जाए उस हाथ को काट कर दूसरे हाथ में पकड़ा दो, यह आज का भारत है" उन्होंने कहा कि" आज जो त्रिशूल दीक्षा का समारोह रखा गया है इसमें केवल त्रिशूल लेना मत सीखना, चलाना भी सीख लेना, सीखने के लिए संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दो"। 


राजस्थान के जोधपुर में इतना बड़ा समारोह जिसमें देश विरोधी भाषण हो रहे हैं, हथियार उठाने और हथियार चलाने की बात की जा रही हो, कानून और संविधान को पैरों तले रौंदा जा रहा हो, क्या यह समारोह प्रशासन से छुपा कर क्या जा रहा है? इस तरह के देश विरोधी समारोह करने की इजाजत बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद को किसने दी?

   जिस पीएफआई ने आज तक कोई ऐसी बैठक आयोजित नहीं की जिसमें हथियार चलाने की बात की गई हो उस पर तो बैन लग गया, लेकिन यहां खुलेआम विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा हथियार चलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, त्रिशूल बांटे जा रहे हैं। 

क्या यह देश की एकता अखंडता और गंगा जमुनी तहजीब के लिए खतरा नहीं है? क्या यह सरकार बजरंग दल जैसे संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाएगी? शायद यह काम भाजपा के लिए मुश्किल हो, तो क्या बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की देखा देखी मुसलमान भी इस तरह के समारोह आयोजित करने लग जाएं? और मुसलमान भी अपने नबी की सुन्नत बता कर तलवार बांटने लग जाएं? तलवार की ट्रेनिंग देने लग जाएं?

अगर यह सरकार इस बात से सहमत है तो फिर मुस्लिम संगठनों को भी आगे आना चाहिए और "आग़ाज़े तलवार" समारोह जगह जगह आयोजित करने चाहिए।


✍️ :आफताब अज़हर सिद्दीक़ी

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